दोस्तों से मिले मुद्दतें हो गईं,
देखे हुए चेहरे खिले, मुद्दतें हो गईं
कोरोना ने जाल बिछाया ऐसा,
बाहर ना निकल सके हम
बाहर की बहार देखे मुद्दते हो गई
कोई जल्दी से लाए इसका “टीका”,
जीवन लगने लगा है, फ़ीका फ़ीका
होली भी गई फ़ीकी ,राखी भी सूनी जाए
दीवाली तक ही काश, टीका वो आ जाए
नव वर्ष फ़िर मनाएंगे धूमधाम से,
कोई जश्न मनाए मुद्दतें हो गईं।