मुशायरा महीन अहसासों को बुनता हुआ, अल्फ़ाजों को सहजता हुआ एक ऐसा कारवां है जहां हर शख्स, हर शब्द अपने वजूद को महसूस करता है| यहां कुछ ऐसा ही कारवां बन जाये तो क्या बात हो| इसके लिये आपके सहयोग व योगदान की जरूरत होगी; उम्मीद है यह कारवां बढता ही जायेगा, अहसासों के साथ…आसमां से भी आगे|
आगाज करने वाली पंक्ति:
लफ़्ज कभी खत्म ना हो, बात से बात चले
मैं तेरे साथ चलूं, तू मेरे साथ चले|
मुशायरे का विजेता – Saurabh Singh (84 votes)
आप नीचे कमेंट के स्थान में अपने अल्फ़ाजों को लिख सकते है|
पुरस्कार राशिः ₹ 500 (Paytm)
– मुशायरे में कविता आगाज करने वाली पंक्ति से संबंधित होना चाहिए|
– कविता कम से कम दो पंक्ति की होनी चाहिए|
– विजेता का फैसला कविता को मिले वोट के आधार पर किया जाएगा| अर्थात, जिस कविता पर सबसे ज्यादा वोट होगें, उस कविता का कवि विजेता होगा|
– कविता लिखने और वोटिंग की आखिरी तारीख एक ही होगी – 7 जनवरी 2018
नोटः कविता जल्दी लिखने पर वोट प्राप्त करने का समय अधिक होगा, इसलिए जल्दी ही कविता लिखें और वोट प्राप्त करने के लिए शेयर करें|