गजल : कुमार अरविन्द
मुहब्बत की गली कूचों में क्या है |
इधर देखो मेरी आँखों में क्या है |
बड़ा ही जोर है उन के जुबां में |
नही तो जोर जंजीरों में क्या है |
ये करने वाले हैं कर जाते हैं सब |
वगरना आग तकरीरों में क्या है |
खुदाया दिल नही देखा कहीं पे |
खुदा को पा गये ख्वाबों में क्या है |