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मेरी हिंदी

दिल से दिल तक अपना रस्ता बना लेती है,
ये हिंदी ही हम सबको अपना बना लेती है।।

हो जाए गर नाराज़गी तो मस्का लगा देती है,
साथी हो या मांझी सबको रस्ता बता देती है,

पढ़े लिखे और अनपढ़ का फर्क दिखा देती है,
भारत माँ का परचम ऊँचा चस्पा करा देती है।।

राही अंजाना

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