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मेरी ख़ामोशिओं से

मेरी ख़ामोशिओं से वाबस्ता नहीं जब रूह तेरी ,
मेरे लफ़्ज़ों के तो फिर जनाज़े ही निकल जायेंगे
राजेश’अरमान’

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