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मेरे घर मैना आई है

-सत्य घटना पर आधारित काव्य-

एक नन्ही मेहमान आई है
मेरे घर मैना आई है

जब अकेले थी तो
पेड़ की डाल में रह लेती थी
अब मां बनने वाली है
तो जिम्मेदारी भी आई है
इसीलिए मेरे गौशाला के पास
घोंसला बनाने आई है

मेरे घर मैना आई है

जिस दिन से अंडे दिए हैं
बरामदे से बाहर ज्यादा जाती नहीं
देखते रहती है दिन भर घोंसला
बस उन्ही की चिंता सताई है
मैंने भी बरामदे में ही
दाना-पानी की सुविधा बनाई है

मेरे घर मैना आई है

पर नियति को कुछ
और ही मंजूर था
दुर्भाग्य ने उन मासूमों पर
अपनी कुदृष्टि जमाई है
एक दिन अचानक सांप के रूप में
मौत दस्तक लाई है

मेरे घर मैना आई है

आज सुबह से ही मैना
ख़ूब रोई चिल्लाई है
खा गया वो दुष्ट उनको
उसने अपनी भूख मिटाई है
पिताजी बोले देखो बेटा
उसने दुनियां ऐसी ही बनाई है

मेरे घर मैना आई है

कुछ दिन तक दिखी नहीं
न घोंसले में आई न बरामदे में थी
इंसान हो या कोई पक्षी
ऐसा कुठाराघात कौन मां सह पाई है
यह दृश्य देख मेरी भी
आंखे भर आई है

मेरे घर मैना आई है

कुछ हफ्ते बीत गए
मैं भी भूल गया था
एक दिन अचानक इसी घोंसले में
मैने एक हलचल पाई है
एक नई आस लिए
एक बार फिर वही मैना आई है

मेरे घर मैना आई है

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