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मेरे बापू के सपनों का भारत।

मेरे बापू के सपनों का भारत,
अब है न जाने गुम कहीं।
न एकता की भावना है,
न देश प्रेम की बात कहीं।
सत्ता की खातिर,
जनता को मूर्ख बनाया जाता है।
मेरे बापू के सपनों का भारत,
अब है न जाने गुम कहीं।
वह देश को बढ़ाकर,
विकसित राहों पर ले जाने वाले,
न जाने वो लोग हैं गुम कहीं।
बाबू तुम वापस आ जाओ,
कर दो भारत को फिर से पुरा।
हो भाईचारा लोगों में,
न हो दुश्मनी का दायरा।
बस प्रेम, शांति, सौहार्द बने।
मेरे बापू के सपनों का भारत
फिर से एक बार बनें।

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