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मैं और मेरी कलम

जुल्म सितम बढ़ रहा था हर तरफ
मै हुयी बिल्कुल अकेली
ना कोई पास मेरे
ना कोई साथ मेरे
किससे करूं हंसी ठिठोली
तभी नजर आई मुझे कलम
कलम बोली मुझसे
क्यूँ रहती हो अकेली
कर लो मुझे से दोस्ती
मुझे बना लो अपनी सहेली
मैंने भी झट से करी कलम से दोस्ती
कलम बन गई मेरी सहेली
मिला कलम का जब से साथ
सुलझा सकती हूं हर एक पहेली
—–✍️एकता

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