Site icon Saavan

मैं ग़ज़ल बन किसी कागज़ पर बिखर जाऊँगी

तेरी आँखों में रहूँगी तो सँवर जाऊँगी
गर तेरे बदले मिले दुनिया मुकर जाऊँगी

ख्याल हूँ कैद न कर तू मुझे इन पलको में
खुशबू बन तेरा मै दामन छू गुज़र जाऊँगी

छूना मत तल्ख़ हक़ीकत भरे हाथों से
ख्वाब नाज़ुक हूँ मै आँखों का बिखर जाऊँगी

रोकते काश मुझे इक दफा यह हसरत थी
रंज लेकर यही मिट्टी में उतर जाऊँगी

तेरी आँखों से गिरी सूखे से पत्ते जैसी
बह के सैलाब में इस गम के किधर जाऊँगी

मेरे ज़ज्बात तो बहते हैं किसी दरिया से
मैं ग़ज़ल बन किसी कागज़ पर बिखर जाऊँगी

Exit mobile version