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मैं हूँ बेटियाँ

मैं हूँ बेटियाँ, मुझे सभी अपनों का, थोङा नहीं पूरा दुलार चाहिए,
अपनी चाहतो को रंग देन, उमंगो के संग, उङने को पूरा आसमान चाहिए ।
किसी की बुरी नियत का फल, मुझे न मिले, पूरी गरिमा से जीवन का अधिकार चाहिए,
मुझे भी उङने को पूरा आसमान चाहिए ।
मेरी सुन्दरता नहीं, मेरे सद्गुणों का आकलन हो, देखती
आँखो में कामुकता नहीं, स्नेह की बौछार चाहिए,
मुझे भी उङने को पूरा आसमान चाहिए ।
बाज़ार की कोई उपस्कर नहीं, देखकर छोङे नहीं, थोड़ा-सा हक, इन्कार का चाहिए,
मुझे भी उङने को पूरा आसमान चाहिए ।
मुझे देख भाई सोंचे नहीं, दहेज़ उसके लिये जुटाऊ कहीं, बोझ समझे नहीं, मन में सम्मान चाहिए,
मुझे भी उङने को पूरा आसमान चाहिए ।
मुझे बढते हुए देख, तात के चेहरे पर सिकन नहीं, वर
ढूँढते जूते न घिसे, मुझे मेरा मुकाम चाहिए,
मुझे भी उङने को पूरा आसमान चाहिए ।
जलील होना न पङे, कभी तात-मात को, निन्दिया न उङे उनकी रात को, खामोशी नहीं, मुस्कान चाहिए,
मुझे भी उङने को पूरा आसमान चाहिए ।

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