इल्जाम हमीं पर लगा देते हो
मोहब्बत का
पर शुरुआत तुमने ही की थी
हसीन कितने हो ये जानते नहीं क्या !
दिल में दस्तक तुमने ही दी थी
नखरे हजार अब दिखाते हैं हम पर
नाजों से रखने की बात तुमने ही की थी
अब बुरा लगता है जब मैं रूठ
जाती हूँ
मुझे मनाने की हर बार कोशिश
तुमने ही की थी..