‘यहां नहीं तो कहीं ओर …. satish Kasera 8 years ago ‘यहां नहीं तो कहीं ओर जल रहा होगा, किसी सूरज के मुकद्दर में, कोई शाम नहीं…।’ ……………..सतीश कसेरा