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यादों को फिर से समेटना है।

जब छोड़ के आए थे गाॅऺव को हम,
तब हमें न पता चला था अपना ग़म,
लेकिन इस महामारी में याद आए गाॅ॑व के हसीन पल,
जहां मिल जाता था हर समस्या का हल,
आज लंबे अरसे के बाद वहां जाना है,
क्योंकी यहां हर मजदूर बेबस और बेचारा है,
रेलवे में बैठकर एक दफा इस शहर को देखना है,
छुटी हुइ यादों को एकबार फिर से समेटना जो है।

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