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ये दिल…

ना चैन है,  ना सुकून है
ये दिल को क्या फितूर है l
करता है ये मनमानियां ,
करता है ये शैतानिया
सुनता नहीं बेधड़क है ये दिल, जानिया
धड़कता है जब ये सीने मे,
मजा है फिर तभी जीने मे
ना रिवाजो मे , ना समाजो मे
उड़ता फिरे ये खयालो मे ,
कभी सजदे मे है,
कभी शिकवे मे है ,
कभी किसी के हिस्से मे है
ना चैन है , ना सुकून है
ये दिल को क्या फितूर है !

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