ये मतलबी दुनिया मुझे,
अपना नही लगती।
लोग कहते है,मै मगरूर हूँ, “” घमण्डी हूँ।।
जब कर दिया अपनो ने घायल,
जब चिल्लाये दुनिया के समाने करवा दिया जब गलती का एहसास,
तब लोग कहने लगे मै पागल हूँ,,
ऐ खुदा हार गया हूँ तेरी इस नाटक रूपी मंच से,
मेरी आँख हर वक्त ऩई जिन्दगी की भीख माँगती,
और ये आपकी मतलबी दुनिया मे पल रहे लोग—-
कहते मै”” जिंदा”” हूँ ।।
अपनो से हारी हूई एक खामोश “”हमलवार “”हूँ
और लोग कहते की मै “”मतलबी”‘ हूँ////
ये मतलबी दुनिया बहुत रूलया है ये खुदा, बहुत शिल्ला दिया ।
ले–ले अब अपने चरणों मे ,
हुआ हूँ अपनो से घायल ——
अब ये दुनिया अपनी नही लगती।।
ज्योति
Mob–9123155481