थोड़ा मायूस हूँ , थोड़ा तन्हा हूँ ..
कोई राह – ए – ख़ुशी बता दो….
ख़ुद की ख़ामोशी देख , ख़ामोश क़ायनात भी दिख रही हैँ …..
कोई मुस्कुराना सीखा दो ….
बे – रंग हो गयी हैं , चेहरे की रौनक ….
कोई ” वाह ” ” वाह ” करके थोड़ा और रंग जमा दो ….
पंकजोम ” प्रेम “