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राजनीति

सह आंखो से देखे तो पड़ जाता है पाला
कोई हाथों से छीनकर खा जाता निवाला
क्या होगा यहां उन मासूम पंख परिंदो का
आज कल बस्तियो में खूब होता है घोटाला

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