खोल दो राज दिल का ,राज न रह जाने दो,
लबों पे आई बात को, बात न रह जाने दो/
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माना नजरो से नजरें मिली है तो क्यॉ..,
नजरों से उतीर हमें दिल मे रह जीने दो /
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है तमन्ना आशिकी का ,दिल-ए-जमीं पे,
इस दिल की उठी तुफ़ॉ को आज बह जाने दो/
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कह दो खुल कर सरेआम मोहब्बत है योगी हमसे,
गर जले भी जमाना तो दल कर रीख हो जीने दो/
योगेन्द्र निषाद
घरघोड़ा,रायगढ. (छ.ग.)