रात है लेकिन न घबरा,
कल सुबह निश्चित उगेगी,
कर्म के बीजों को बो ले,
मंजिल तुझे निश्चित मिलेगी ।
भाग्य पर तू छोड़ मत दे,
प्रारब्ध पर निर्भर न रह,
हारने के भाव मत ला
जीत लूँगा रोज कह।
अंतस में तेरे शक्ति है
तू शक्ति का उपयोग कर,
कर्म से मत डिग कभी भी
जोश खुद में खूब भर।
स्वेद से जो प्यास अपनी
दे बुझा, ऐसा तू बन,
खूब चौके खूब छक्के
तू बना दे सैकड़ों रन।