कृष्ण ने बहुत अटखेलियां की
गोपियों के संग नदियों -तालाबों में,
ना प्यार मिला ऐसा कहीं
जो देखा राधा की आँखों में.
वचन भरे जीवन मरण के
लेकर हाथों को हाथों में,
स्मृतियाँ वो ना कभी भूलेंगी
जो कट गई बातों बातों में.
ना अब रही मिलन की बेला
ना सुगंध रही अर्पित फूलों में,
ना पूरे दोनों एक दूजे के बिन
ना राह मिलन की इन कर्कश शूलों मे.
सदा युगल रहे राधा कृष्ण
साथ ना छूटा सुख दुखो मे,
प्रेम कहानी अमर है उनकी
कही जाएगी युगो -युगो मे.