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अज़ब दुनिया गज़ब ज़माना है।
ज़ख्म खा कर भी मुस्कुराना है।।
आँधी में टूट कर जो बिखरे हैं।
उन घरोंदों को फिर सजाना है।।
क़ब्ल में दफ़्न कर दिया जिसको।
फिर उस उम्मीद को जगाना है।।
रिश्ते जो जाने क्यूँ बिखर से गए।
बिगडे रिश्तों को फिर बनाना है।।
अज़ब दुनिया गज़ब ज़माना है।
ज़ख्म खा कर भी मुस्कुराना है।।
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@deovrat 02.10.2019
क़ब्ल=पहले से