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रूपरेखा

ख़ुद पर ऐतवार कर पर भूलकर भी न किसी पर
विश्वास कर।
खुद के ही बल पर अपने जीवन की रूपरेखा तराश कर।।
कब कोई अपना,अपनी अंगुली को घुमा,तोहमत तुझपे लगा देगा
तेरी हर जायज़ कोशिश को भी, तेरी ही गलती बना देगा
अकेले ही रहने की आदत डाल, न अपनी भावनाओं से खिलवाड़ कर।।
देखो कैसी अजब घङी यह आई है,
अपनों से ही अपनेपन की लङाई है,
न स्वार्थ है फिर भी क्यूं ये खिंचाई है
मन है सूना- सूना, पलकें मेरी पथराई हैं
ख्वाइशो को आग लगी,‌कैसे क्यूं किस पर गुमान कर।।

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