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रेत से बने इस रक्त के पुतले पर

रेत से बने इस रक्त के पुतले पर,
रस्म ऐ रूह का रूतबा क्या कहूँ,

बदलते रोज़ चेहरों के मुखौटे पर,
जश्न ऐ जाम का कब्जा क्या कहूँ॥

राही (अंजाना)

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