Site icon Saavan

लपेटकर कलाई में धागा जो रिश्ता बांधती है,

लपेटकर कलाई में धागा जो रिश्ता बांधती है,

जब कोई सुनता नहीं मेरी तो वो कहना मानती है,

सर पर तो रखता हूँ मैं हाथ उसके प्यार से,

मगर एक वो है जो मेरे लिए बस दुआ मांगती है,

बोलकर कह लेता हूँ यूँ तो हर बात मैं सबसे,

पर बहना मेरी खामोशी की भी ज़ुबानी जानती है॥

राही (अंजाना)

Exit mobile version