Site icon Saavan

वर्जिन

वर्जिन

मैं वर्जिन हूँ

विवाह के इतने वर्षों के पश्चात् भी

मैं वर्जिन हूँ

संतानों की उत्पत्ति के बाद भी।

वो जो तथाकथित प्रेम था

वो तो मिलन था भौतिक गुणों का

और यह जो विवाह था

यह मिलन था दो शरीरों का

मैं आज भी वर्जिन हूँ

अनछुई, स्पर्शरहित।

मैं मात्र भौतिक गुण नहीं

मैं मात्र शरीर भी नहीं

मैं वो हूँ

जो पिता के आदर्शों के वस्त्र में छिपी रही

मैं वो हूँ

जो माँ के ख्वाबों के पंख लगाये उड़ती रही

मैं वो हूँ

जो पति की जरूरतों में उलझी रही

मैं वो भी हूँ

जो बच्चों की खुशियों के पीछे दौड़ती रही।

मैं अब वर्जिन नहीं रहना चाहती

मैं छूना चाहती हूँ खुद को।

Exit mobile version