Site icon Saavan

वास्तविक गणतंत्र

गणों को नाज़ है कि वो तंत्र का हिस्सा हैं
क्या पता उन्हें कि वो षड़यंत्र का हिस्सा हैं
ये जो श्वेत वस्त्र धारी हैं
कहलाते लोकतंत्र के पुजारी हैं
असल में चुनावी वक्त के अवतारी हैं
शाम दाम दण्ड भेद की नीति अपनाते हैं
प्रतिक्षण मर्यादा भूल जाते हैं
देश के नाम पर जान न्योछावर की बात करते हैं
रोज़ संसद में संस्कृति सीमा पार करते हैं
कहने को सफेदपोश कहलाते हैं
हकीक़त है कि अपने कर्मों को छिपाते हैं
गण अधिकारों को खो रहे हैं
कर्तव्यों को ढो रहे हैं
निज निष्ठा विखंडित
देश भी तो खंडित है , फ़िर भी
गणों को नाज़ है कि वो तंत्र का हिस्सा हैं
क्या पता उन्हें कि वो षड़यंत्र का हिस्सा है
” कंचन द्विवेदी,”

Exit mobile version