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विचार

कीचड में ही कमल खिलता हैं,
लेकिन ऊपर नीचे नहीं ..1..

बिषयाशक्त पुरुष खुश रह नहीं सकता
और निराशक्त को दु:ख छू नहीं सकता ..2..

इंद्रियों का रुख , यदि सात्विक हैं।
तो पूरी कि पूरी जिंदगी सुधरेगी
नहीं तो कुछ भी नहीं ।।३।।

इंद्रियों का दुरुपयोग इंसान को हैवान बना डालता हैं।
अत: मनो-निग्रह बहुत – बहुत जरुरी हैं ।।4।।

खुद को जानने में
यदि पूरी कि पूरी ज़िंदगी भी लग रही हैं तो कम हैं।
क्यूँकि खुद के अलावा
यहाँ कुछ और जानने नहीं आये हो ।।5।।
📜✍️ विकास कुमार

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