विधाता राकेश 3 years ago जुल्म अब सहा नहीं जाता है दुख कितना कहा नहीं जाता घर मे अब रहा नहीं जाता कुछ करो हे विधाता सबका दुनिया से बना रहे नाता हर कोई रहे हँसता मुस्कुराता