“वो अब कहते हैं मत बोलो” (छंद बद्ध) Pragya 3 years ago तबाही मेरे मन की तुम हंसी में लेके मत डोलो मेरे गीतों को अपने प्रेम के भेंट मत बोलो जो कभी मरते-मिटते थे मेरे अल्फाजों के दम पर, कि अब देकर हमें कसमें वो अब कहते हैं मत बोलो।।