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वो जब हमसफ़र थे

वो जब हमसफ़र थे तब भी अच्छे लगते थे
आज दूर से हाथ हिलाते हुए भी अच्छे लगते है
क़ुर्बतों की दास्ताँ भी फ़क़त चंद किस्सों का जमावड़ा है
साथ रहें तो भी अच्छे ,न रहें तो भी अच्छे लगते है
राजेश’अरमान’

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