वो सुबह न आये जिसमे तुझको टूट कर बिखरता देखूं राही अंजाना 7 years ago वो सुबह न आये जिसमे तुझको टूट कर बिखरता देखूं, तेरे रगो में न कभी मैं जुदाई का जहर उतरता देखूं, मांगा है जिसे मैंने भी हर चौखट पर खुदा की, वो पल ही न आये जिसमें मैं तुझको सिसकता देखूं॥ राही(अंजाना)