वक़्त की स्याही rajesh arman 8 years ago वक़्त की स्याही ज़िंदगी के कोरे कागज़ पर न जाने क्या लिख जाती है कभी ये कागज़ किताब बन जाते ,कभी ये महज पन्नें बन बिखर जाती है राजेश ‘अरमान’