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शहीद

–शहीद–
भवर मैं खड़े होकर , तूफानों से टकराते हो
अँधेरे में रह कर , चिराग देश का जलाते हो
सुख सम्पति निज सपनो की , हस कर बलि चढ़ाते हो

कली मैं सब कपूत हैं , तुम सपूत कहाँ से आते हो
रक्त रंजित तेल मैं , प्राण बाती जलाते हो
भारत माँ की लाज बचा कर, लाल कहाँ छुप जाते हो

ऐ शहीद तुम देश की खातिर , किस देश से आते हो
भवर मैं खड़े होकर , तूफानों से टकराते हो
–विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)–

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