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शायरी की बस्ती

एक ख़्याल सा ज़ेहन में लाया जाये, शायरी की बस्ती को अलग से बसाया जाये..मख़ौल ना किसी की ख्वाईशो का उड़ाया जाये।

जहाँ हर दर्द कहा जाये, जहाँ हर दर्द सुना जाये।
बस हर दर्द को महसूस किया जाये।

ना खेलें कोई जज्बातों से,
ना खेलें कोई दिल के हालातों से..

हो कद्र जहाँ इंसानों की,
बात कह दे, तो अदब से सुना जाये।

मोहब्बत, इश्क़, प्यार को ऐसे पाला जाये,
आये तो कोई इस बस्ती में, फ़िर ना कोई ख़ाली जाये।

वो जो हो अंतर्मन में..
उसी को जीवन में लाया जाये,
टूट जाये गर ख़ुद भी, किसी का दिल ना दुखाया जाये।

एक ख़्याल सा ज़ेहन में लाया जाये, शायरी की बस्ती को अलग से बसाया जाये..📝Wahid🙏🙏

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