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शायरी

जो मेरा हो नहीं पाया , मैं उसको याद करता हूँ ,

फिर उसको भुलाने की भी मैं फ़रियाद करता हूँ

भुलाने के उसे मैं सौ बहाने ढूंढ लूँ चाहे

उसी का जिक्र सबसे मैं उसी के बाद करता हूँ ।

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