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शिक्षक दिवस पर

शिक्षक दिवस पर****
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शिक्षक राष्ट्र का निर्माता
शिक्षक ही ज्ञानका है ज्ञाता
आदिकाल से इस जग में
शिक्षक समाज का गहरा नाता ।
जब से इस जग मेंसृष्टा ने
सृष्टि का सृजनहार किया
तब से ही ज्ञानकी ज्योति
जगा शिक्षक ने तम का नाश किया ।
एकलव्य ने गुरू प्रतिमा से
ही ज्ञान गुरू का पाया था
गुरू समर्थदास को वीर
शिवा ने अपना गुरू बनाया था ।
पैर की पीड़ा हरने को
सिंहनी का दूध पिलाया था
क्या गुरू औरक्या शिष्यथे
यह सोच आजमन हर्षाया
जिव्हा पर गुरू परमहंस और नाम विवेकजी का आया ।
दौलतशोहरत रिश्ते ना हों
पर ज्ञान गुरू का रहता है
शिक्षा ही ऐसा धन है जिसको छीन नहीं कोई
पाता है ।
श्रीकृष्ण ने संदीपनमुनिको अपना गुरू बनाया था
सागर से माँगा मृत पुत्र
गुरू माता को लौटाया था
कोई हुआ न होगा इस जग
में गुरू जैसा ज्ञानी दानी
पत्थर को भी पावन कर दे
गुरू की पारस जैसी वाणी
गुरू की पारस जैसी वाणी
जय हिंद जय भारत
वन्दे मातरम(कमलेशकौशिक)
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