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संसार

मन तेरे से पहले भी संसार
अपनी मस्त चाल चलता था
बाद में भी संसार
अपनी गति में चलता जायेगा।
सुबह, दोपहर शाम
अपनी गति में होते जायेगी,
मौसम ठंडा, गर्मी, बारिश
अपनी गति से आयेगी।
कुछ वर्षों तक
अच्छे और बुरे कर्मों की
याद रहेगी जनमानस में,
धीरे-धीरे भूल वो यादें
अपनी गति में रम जाती है।
यादें भी मिट जाती हैं।

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