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सत्य

सत्य!
यों देखो तो
सत्य यहाँ कुछ भी नहीं;
सब छलावा है, मिथ्या है |
जिस साये को मान साथी
हम चलते है यहाँ,
साथ छोड़ देता है वह साया भी
निशा के तम में |
सत्य है केवल इतना
कि इस विवृत्त सृष्टि में
तुम बिलकुल अकेले हो |
साथी आते है
क्षणभर के लिए,
और फिर चले जाते है |
ठहरता कोई नहीं यहाँ
जीवनभर के लिए |

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