जब नई सरकार बनानी हो , तो चलता महागठबंधन का चक्र है,
जब है महामारी अपने चरम पर पर बरसाती हर तरफ कहर है,
फिर भी मनाया जा रहा है लोकतंत्र का पर्व ,है तो चुप क्यों बैठा महागठबंधन इसका भी क्रीडाचक्र है,
जब तक ना बीता चुनाव तब तक खुली हर गली हर डगर है
पक्ष विपक्ष पर आरोप लगाती बस इसका ही तो जिकर है,
नेताओं को भी अपनी सत्ता से मतलब , कहां जनता की फिकर है,
आज संकट की घड़ी में कहां सो रहा महांगठबंधन बेफिकर है ,
बस अभी हो पाया है चुनाव , दिखने लगा एक बार फिर लॉक डाउन का असर है।।
–✍️एकता—