साहित्य एक विधा है
न कुछ दिनों की संविदा है
लिखूं कुछ ऐसा
जिसकी सबको प्रतिक्षा है
कहीं मिले आलोचना
कहीं मिले सुंदर समीक्षा है
अभी मैं हूं एक ‘नन्हीं कलम’
पर आकाश छूने की उत्कंठा है
ना चाहूं किसी से हार जीत
ना कोई प्रतिस्पर्धा है
मिलता रहे सभी का सानिध्य हमें
क्योंकि सावन परिवार अनूठा है
—✍️ एकता