सावन Pragya 4 years ago जब से सावन मेरी जिंदगी में बहार बनके आया तब से हम कविताओं को अपनी डायरी में जगह नहीं देते। शब्द लपेट लेते हैं अपने दामन में उसको दिल में जगह नहीं देते घाव कितने भी लगें दिल में उन्हें हम इतनी अहमियत नहीं देते