Site icon Saavan

साहित्य और साहित्यकार

साहित्य ऐसा रचना कवि,
जिसमें दिखाई दे समाज की छवि।
बातें हों ऊंचे पर्वत, गहरे सागर की
कभी बहती पवन कभी उगता रवि।
दुख-सुख की चर्चा करे कवि,
कभी बातें हों मुस्काने की।
विरह की व्यथा कहे कभी,
कभी गाथा अश्क बहाने की।
जन-जन में फैली आशा और निराशा की,
जब कवि ज्योति जलाता है,
वही सच्चा साहित्यकार कहलाता है।
जब कोई नदी समुन्दर से मिलने जाती है,
बस, कवि की नजर ही उसे देख पाती है।
काली घटाएँ और ठंडी हवाएँ,
ये तो साहित्य की जान हैं।
मौसम और माहौल से परिचित करवाना,
साहित्यकार की पहचान है॥
_____✍गीता

Exit mobile version