सुनहरी किरण जब मेरी खिड़कियों से झांकती हैं
सीमेंट देती हूं पर्दे को मैं भी
खिड़कियों के पट खोल के
स्वागत है आपका कहती हूं
रख देती है मेरे मुंह पर
अपने अदृश्य हाथों को
जैसे कोई मां अपने बच्चे को दुलारती हैं
सुनहरी किरण जब मेरी खिड़कियों से झांकती है
एक पल में दुलराती है मुझको
दूजे पल में शैतानी दिखाती है
मेरे आशियाने की लेती है तलाशी
घर की दीवारों पर छलांग लगाती है
खेलती है साथ में आंख मिचोली
बादलों के पीछे से चुपके से ताकती है
सुनहरी किरण जब मेरी खिड़कियों से झांकता हैं