सुबह सुबह सूरज की किरणें
लगती हैं कितनी मनभावन,
नई लालिमा युक्त चमक है,
लगती हैं निखरी सी पावन।
खुश होकर चिड़िया बोली है
उठो सखी सुबह हो ली है,
एक झाँकती है बाहर को
दूजी ने आँखें खोली हैं।
छोटे-छोटे पौधों भी तो
देख रहे गर्दन ऊँची कर
आओ पास आ जाओ किरणों
बोल रहे हैं उचक उचक कर।
सूरजमुखी उस ओर मुड़ रही
बन्द कली इस वक्त खिल रही,
ओस बून्द को आत्मसात कर
किरणें धरती के गले मिल रहीं।