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“स्वाभिमान और झुकाव”

जीवन में स्वाभिमान और झुकाव
दोनो जरुरी हैं
स्वाभिमान कभी°°°
स्वयं का अपमान होते नहीं देख सकता और झुकाव कभी अपमान होने नहीं देता।

•••झुकी हुई झाड़ियां कभी नहीं टूटती
बड़े बड़े दरख्ते अक्सर टूट जाते हैं ।

•••जीवन में आगे वही बढ़ते हैं
जो किसी की जीत के लिए
अक्सर हार जाते हैं।

▪▪▪जो दीपक तूफान आने पर भी अपनी ज्योति मद्धम नहीं करते•••
ऐसे दीप ही आखिरकार बुझ जाते हैं।।

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