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हमसफ़र

बस यूँही हम मिले और मिलते रहे,
थे कली फिर भी फूलों से खिलते रहे,

रिश्ते जितने ही हमसे उलझते रहे,
उतना ही प्रेम में हम सुलझते रहे,

रोका हमको बहुत हम रुके ही नहीं,
हम तुम्हे हमसफ़र अपना बुनते रहे,

वक्त की चाल से हम डरे ही नहीं,
सच यही साथ में सीढ़ी चढ़ते रहे।।

राही अंजाना

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