Site icon Saavan

हमें तुम याद आते हो।

बसावट मेरे दिल में अजनबी
तुम क्यों बसाते हो?

चलो छोड़ो!
बहुत अब हो चुका मिलना,
मेरे दिल को अभी भी तुम
ठिकाना क्यों बनाते हो?

दूर बैठे हो तुम कितने!
कि मुझ से मिल नहीं सकते
वहीं बैठे
निगाहों को
निशाना क्यों बनाते हो?

समय जब है नहीं तुमको
कि आके मिल भी लो एक पल!
तो अपनी रूह का पिंजरा
नहीं तुम क्यों बनाते हो?

क्यों आ जाते
बिना मेरी इजाजत
रोज मिलने को????
कि दिन ढलता नहीं
और हिचकी बन
गले पड़ ही जाते हो!!

पल वो बीता
वक्त भी ना रुका
फिर भी ना जाने क्यों?

शब्द जो बोले थे
उनको कानों में
क्यों गुनगुनाते हो?

वो खट्टी मीठी सी मनुहार,
वो आंखों से बरसता प्यार।

सदी बीती
दोबारा क्यों हमे सब
याद दिलाते हो।

तुम अब भी
हर घड़ी हर पल
हमें उतना हीसताते हो।

कि जितना भूलना चाहे
तुम उतना याद आते हो।

निमिषा सिंघल

Exit mobile version