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हर भोर

हर भोर
उगता सूरज
नई किरणों के संग
नए खेल रचता
नई ऊर्जा का संचार
दिन भर तपस
कभी ज्यादा
कभी कम
इस ज्यादा
इस कम
में दबे बैठे है
कई प्रश्न
राजेश’अरमान’

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