हवा से कहूँ जा खबर ले के आ जा,
किस तरह से उनके दिन कट रहे हैं।
दिवाली में कैसी शोभा है उनकी
किस तरह से उनके बम फट रहे हैं।
हवा तू जरा सा नाराज है ना
पटाखों के प्रदूषण से खफा है।
मगर वो होना ही है हवा सुन!
बातें समझता कोई कहाँ है।
जा ना खबर ला दे ना उन्हीं की
जिन्हें मन हमारा खोजता यहाँ है।