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हाइकू

आँख मलती
जग रही बिटिया
मुँह बनाती |

ठप्प दुकान
नहीं कोई ग्राहक
बुरा समय |

गलियाँ तंग
आवाजाही हो रही
चुभे दीवार |

अशोक बाबू माहौर

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